जब जी चाहा लोग रिश्तों को तोड़ मरोड़ लेते हैं, ज़रुरत के मुताबिक़ कश्ती का रुख मोड़ लेते हैं।
सायद तू खुश है मुझसे मुंह फेर के
तेरा चेहरा देखने के लिए सारी रात जागते रहता हूँ
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