जब जी चाहा लोग रिश्तों को तोड़ मरोड़ लेते हैं, ज़रुरत के मुताबिक़ कश्ती का रुख मोड़ लेते हैं।
Friday 29 July 2016
मैं आँसू हूँ.......
Tuesday 19 July 2016
अंत में हम दोनों ही होंगे
अन्त में हम दोनों ही होंगे !!!.
भले झगडे, गुस्सा करे, एक दुसरे पर टुट पड़े
एक दुसरे पर दादागिरि करने के लिये, अन्त में हम दोनों ही होंगे
जो कह्ना हे वह कह ले, जो करना हे वह कर ले
एक दुसरे के चश्मे और लकड़ी ढुंढने में, अन्त में हम दोनों ही होंगे
मे रूठु तो तुम मना लेना, तुम रूढ़ो ताे मै मना लुगा
एक दुसरे को लाड़ लड़ानेके लिये, अन्त में हम दोनों ही होंगे
आँखे जब धुँधली होंगी, याददाश्त जब कमजोर होंगी
तब एक दूसरे को एक दूसरे मे ठूँढने के लिए, अन्त में हम दोनों ही होंगे
घुटने जब दुखने लगेंगे, कमर भी झुकना बंद करेगी
तब एक दूसरे के पांव के नाखून काटने के लिए, अन्त में हम दोनों ही होंगे
"मेरी हेल्थ रिपोर्ट एक दम नोर्मल है, आइ एम आलराईट
ऐसा कह कर ऐक दूसरे को बहकाने के लिए, अन्त में हम दोनों ही होंगे
साथ जब छुट जायेगा, बीदाई की घड़ी जब आजायेगी
तब एक दूसरे को माफ करने के लिए, अन्त में हम दोनों ही होंगे.
Friday 15 July 2016
मुझको भी.....
मुझको भी एक बेवफ़ा से प्यार हो गया,
मेरा भी दिल जहां का ग़ुनहगार हो गया।
वो चाहे या न चाहे मैं तो चाहूंगा उसे,
उनकी अदायें दिल के मेरे पार हो गया।
मंज़ूर मुझको हुस्न की हर बेवफ़ाई अब,
उनके सितम से दिल मेरा दिलदार हो गया।
मैं दोस्ती का अर्थ समझता हूं दोस्तों,
ग़लती से मेरे द्वारा पलटवार हो गया।
जब से मिली है दीद हसीना की लोगों को,
अपनी गली में ईद का त्योहार हो गया।
दिल के चराग़ों को जला कर बैठा मैं मगर,
वो आंधियों के कुनबे का सरदार हो गया।
डर लगता मुझको दानी पहाड़ों की ज़ुल्म से,
इमदाद की ज़मीं मेरा संसार हो गया।
ना जाने
ना जाने क्यों रेत की तरह निकल जाते है हाथों से ‘वो लोग ‘
जिन्हें जिन्दगी समझ कर हम कभी खोना नही चाहते .